कैना लिली/वैजयंती फूल |
इस पूजा के फूल का लोकप्रिय नाम वैजयंती-फूल है जिसे अंग्रेजी में कैना लिली (Canna Lily) कहा जाता है यद्यपि लिली (Lily) परिवार के पौधों से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। वैज्ञानिक रूप से यह हर्ब (Herb) के अंतर्गत आता है जो अदरक और केले के परिवार से सम्बन्ध रखता है। यहाँ तक कि इसके पत्ते का स्वरुप भी केले के पत्ते से बहुत मिलता है। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इसे केला फूल (Banana flower) के नाम से भी पुकारते हैं। यद्यपि यह भ्रम पैदा करने वाला है क्योंकि केला का फूल दिल के आकार का होता है जो पेड़ से लटकता है और इसी से केले का फल निकलता है। वैजयंती के फूल कई रंगों में खिलते हैं यथा लाल, पीले, नारंगी अथवा कई रंगों के मिश्रण में। इसके बड़े और आकर्षक रंगीन फूल सहज ही किसी का भी ध्यान खींच लेते हैं।
क्यारियों में लगे वैजयन्ती/कैना लिली के पौधे |
वैजयंती का फूल एक पौराणिक फूल है जिसकी दिव्य माला भगवान् विष्णु एवं कृष्ण द्वारा पहनी जाती है। इसका नाम विजय से जुड़ा है और इसका उल्लेख विष्णु-सहस्त्रनाम स्तोत्र में भी मिलता है। इसके नाम का अर्थ है "विजय की माला"। यद्यपि कुछ लोगों का मानना है कि उस दिव्य माला में इस वैजयन्ती के फूल शामिल नहीं हैं बल्कि उसके फूल कोई अन्य फूल हैं जो कभी मुरझाते नहीं। जो भी हो हमलोग यहाँ उस दिव्य माला की विवेचना के लिए नहीं हैं बल्कि इस वैजयन्ती के फूल के बारे में ज्यादा जानने के लिए हैं। पीले, नारंगी और मिश्रित रंगों वाले वैजयन्ती के फूल भगवान विष्णु एवं उनके अवतारों को समर्पित किये जाते हैं।
वैजयन्ती के फूल भगवती दुर्गा,काली एवं "शक्ति" माता के अन्य अवतारों को भी अर्पित किया जाताहै। जैसा कि श्रीदुर्गासप्तशती में वर्णन है कि भगवती दुर्गा राक्षसों के साथ प्रत्येक युद्ध में विजयी हुई थीं, इसीलिए वैजयन्ती की माला उन्हें भी प्रिय है। उन्हें समर्पित करने के लिए इस फूल के लाल रंग या इसके मिलते रंगों को चुना जाता है।
सिद्धेश्वर मंदिर, उड़ीसा के परिसर में क्यारियों में लगे वैजयन्ती के फूल |
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