'Puja' Flowers and other things used in 'puja' (Hindu Worship).: अपराजिता पुष्प - The Clitoria Ternatea ! (Hindi)

अपराजिता पुष्प - The Clitoria Ternatea ! (Hindi)


अपराजिता के फूल, शंख पुष्प, नीला मटर (ब्लू पी), बटरफ्लाई पी (तितली मटर), पिजन विंग्स (कबूतर पंख) 

   हिंदी और संस्कृत में अपराजिता पुष्प के नाम से जाने जाने वाले इस फूल को अंग्रेजी में 'ब्लू पी', 'बटरफ्लाई पी', 'पिजन विंग्स' आदि साधारण नामों से जाना जाता है जबकि इसका वैज्ञानिक नाम है -क्लिटोरिआ टेरनाटी (Clitoria Ternatea) . इसके वैज्ञानिक नाम के पीछे कारण यह है कि इसके फूलों का आकार स्त्री जननांग से मिलता जुलता है। संभवतः यही कारण है कि दक्षिण भारत के गाँवों में महिलायें इसे ताबीज़ की तरह उपयोग करती हैं। गर्भवती महिलायें अपराजिता फूल की जड़ों को कमर अथवा बाँह में ताबीज़ की तरह बाँधती हैं जिससे उन्हें सामान्य प्रसव हो। अपराजिता के फूलों एवं जड़ों को आयुर्वेद में लम्बे समय से औषधि की तरह प्रयोग में लाया जाता रहा है।पशुओं में इसका प्रभाव अवसादरोधी (antidepressant), एन्टीकन्भलशैंट और तनाव दूर करने वाले के रूप में सिद्ध हो चुका है। इसके सूखे फूलों को चाय की तरह भी प्रयोग किया जाता है।     

अपराजिता - एक पूजा का फूल

अपराजिता का अर्थ होता है - जो कभी पराजित न हुई हो  अथवा जिसे पराजित न किया जा सके। इसे शंख -पुष्प भी कहा जाता है क्योंकि इसका आकार कुछ शंख से भी मिलता है। नीले रंग का यह फूल दुर्गा, काली एवं भगवती के अन्य रूप विग्रहों पर अर्पित किया जाता है। उन्हें यह पुष्प बहुत प्रिय है। दुर्गा पूजा के समय भी यह फूल उपलब्ध रहता है। भगवान शिव को भी यह फूल प्रिय है। अगर महादेव को "ह्रीं ॐ नमः शिवाय" मन्त्र के उच्चारण के साथ यह पुष्प अर्पित किया जाये तो विशेष लाभकारी होता है। इससे शनि ग्रह के अमंगलकारी प्रभाव शांत होते हैं। चूँकि शिव और शक्ति दोनों ही अपराजिता के नीले फूल को पसंद करते हैं अतः अर्धनारीश्वर रूप का ध्यान करते हुए इसे शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।    
       अपराजिता फूल की लता एक क्लाइम्बर होती है अर्थात यह दूसरे पौधे / झाड़ियों का सहारा लेकर ऊपर बढ़ती है। अगर इसकी जड़ों के आस - पास नमी बनी रहती है तो इसमें बहुत सारे फूल आते हैं। बीजों से इसे उगाना बहुत आसान है इसलिए घर के पीछे, छत की फुलवारी या बालकनी में इसे उगाया जाता है। कुछ लोग बालकनी इसे उगाने से परहेज करते हैं। चूँकि यह मटर कुल का पौधा होता है, अतः बीजों से उगाया जाता है। फूल के सूख कर झड़ जाने पर मटर जैसी पतली फलियाँ निकलती हैं जिसमे चार से पांच बीज होते हैं। मटर की तरह (एक लेज्यूम) ही इसकी भी जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन फिक्सेशन का काम करती हैं।   
        अधिकतर फूलों के रंग लाल, पीले, नारंगी और सफ़ेद के अलग अलग शेड्स होते हैं किन्तु नीले रंग का फूल विरल ही देखने को मिलता है यही कारण है कि इस फूल की लता को सजावटी पौधे के रूप में भी लगाया जाता है।
गुच्छेदार अपराजिता /शंख पुष्प 


       इसके फूलों का रंग हल्का नीला भी हो सकता है। सफ़ेद रंग वाली अपराजिता फूल भी होती है किन्तु बहुत कम देखने को मिलती है। मुख्यतः इसके फूल इकहरे होते हैं लेकिन कुछ जगहों पर दोहरे या अधिक गुच्छेदार फूल भी पाए जाते हैं। ऐसे ही गुच्छेदार अपराजिता फूल का एक चित्र यहाँ दिया जा रहा है।   
अन्य उपयोग

       इसके फूल और बीज खाये जा सकते हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में इसके फूलों को चावल रंगने में उपयोग किया जाता है। चीन में पारम्परिक रूप से इसका उपयोग गोनोरिया बीमारी के इलाज और स्त्रियों के असामयिक मासिक स्राव को सही करने में किया जाता रहा है। वे लोग इसे एक कामोत्तेजक के रूप में भी उपयोग में लाते हैं। भारत में भी इसे एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।    अमेज़न पर इसके सूखे फूलों की चाय इस लिंक पर भी उपलब्ध है - Blue Tea

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